मीरा भायंदर शहर में प्रमुख रूप से देखा जाए, तो 3-4 प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का अस्तित्व है - भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना, कांग्रेस और कभी-कभी अपने मोर्चे से उभरने वाली मनसे।
इस शहर में एक विशेष मुद्दा उठाया गया है, जहाँ एक ओर मीरा भायंदर मार्ग पर सैकड़ों गड्ढों से लोग परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर उसी मार्ग पर 75 करोड़ की लागत से बनाया गया एक फ्लाईओवर ब्रिज तैयार खड़ा है। सीपीआई(एम) के युवा नेता सादिक बाशा का कहना है कि प्लेसेंट पार्क से गोल्डन नेस्ट की ओर जाने वाला यह ब्रिज महीनों से तैयार है, लेकिन स्थानीय निवासियों को अभी भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सादिक का आरोप है कि स्थानीय दोनों विधायक प्रताप सरनाईक और गीता जैन श्रेय लेने की राजनीति कर रहे हैं। सादिक ने बताया कि शरद पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सीपीआई(एम) इस मुद्दे पर साथ में विरोध आंदोलन करेंगी। यह आंदोलन 11 अगस्त को इसी ब्रिज पर किया जाना है।
यह माना जाता है की मेट्रो ब्रिज का काम पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता ने पास करवाया था, लेकिन प्रशासन सत्ता की होती है, किसी नेता की नहीं, शायद इसलिए उन्हें नजरअंदाज कर दोनों विधायक मुख्यमंत्री के दौरे का इंतजार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री का दौरा सितंबर के पहले सप्ताह में हो सकता है। इस मेट्रो ब्रिज के साथ-साथ और भी कई उद्घाटन की उम्मीद है। अब स्थानीय निवासियों को एक महीने और इंतजार करना पड़ सकता है।